भोपाल मास्टर प्लान – 2031 के तहत विशेषज्ञों ने जाहिर की चिंता

कंसल्टेशन वर्कशॉप के तीसरे दिन राजधानी में अवैध निर्माण को लेकर उठाए जा रहे सवाल

भोपाल मास्टर प्लान – 2031 (Bhopal Master Plan – 2031) के तहत एप्को परिसर में हो रही कंसल्टेशन वर्कशॉप (Workshop) के तीसरे दिन राजधानी में अवैध निर्माण को लेकर खूब सवाल उठाए गए हैं | दरअसल, नियमों को दरकिनारे करने का परिणाम यह हुआ है कि शहर में घर-कार्यालयों के तहत मिली अनुमति के माध्यम से 63 प्रतिशत अधिक क्षेत्र में निर्माण पसर किया गया है | जिसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि सामान्य स्थिति में बारिश का पानी 53 प्रतिशत तक जमीन में उतरता है, जो अब 20 से 25 प्रतिशत रह चुका है | यही पानी 70 प्रतिशत सड़कों और गलियों में बाढ़ की स्थिति बताता है |

यह रिपोर्ट शुक्रवार के दिन पर्यावरण, हेरिटेज, जल स्त्रोत व ग्रीन एरिया विषय के मद्देनजर आयोजित सत्र में आर्किटेक्ट डॉ. शीतल शर्मा (Architect Dr. Sheetal Sharma) द्वारा रखी गई है | उन्होंने कहा है कि जिस विकास योजना पर बात हो रही है, उनमें से अधिकतर काम हो चुके हैं | अब हमें वर्ष 2050 के विकास का खाका खींचना पड़ेगा | वैसे जानकारी के लिए बता दें कि भोपाल सिटीजन्स फोरम के सुरेंद्र तिवारी ने यह जानकारी व्यक्त की है कि सरकारी योजनाओं (Government Technologies) में 31500 पेड़ कटे जा चुके हैं | इसके तहत, एजेंसियों ने इसका दावा किया है कि इनके एवज में 7 लाख पौधे रोपे जा चुके हैं |

हकीकत में इन्हें लगाने के तहत 5 करोड़ वर्गफीट जमीन की आवश्यकता है | वहीं, तिवारी ने पूछा है कि ये जमीन कहां है ? निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि एजेंसियां ये जमीन जाहिर करें और मास्टर प्लान में इन्हें संरक्षित करें | इसके अलावा, अन्य विशेषज्ञों ने यह जानकारी व्यक्त की है कि नगर निगम द्वारा खुद बोट क्लब पर 10 हजार वर्गफीट में सीमेंट – कॉन्क्रीट से ओपन थिएटर बना दिया गया है | तालाब में सीवेज रोकने का कोई पुख्ता काम नहीं किया जा रहा है | नो-कंस्ट्रक्शन ज़ोन में निगम की मिलीभगत से निर्माण कार्य किया जा रहा है |

Exit mobile version