नई दिल्ली / खाईद जौहर – वित्त वर्ष 2018-19 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी थी। चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा 4.5 फीसदी पहुंच गई हैं। यह करीब 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट हैं। कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया था। इसी बीच आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को एक और तगड़ा झटका लगा हैं। बता दे कि अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी जीडीपी ग्रोथ को कम कर दिया हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश की जीडीपी बढ़त के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया हैं। इसके पहले रिजर्व बैंक ने अक्टूबर महीने में नीतिगत समीक्षा में यह अनुमान जाहिर किया था कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी बढ़त 6.1 फीसदी हो सकती हैं।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि जोखिम पर संतुलन बनने के बावजूद जीडीपी ग्रोथ अनुमान से कम रह सकती हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां और कमजोर पड़ी हैं और उत्पादन की खाई नकारात्मक बनी हुई हैं।
मोदी सरकार भले ही साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर (करीब 350 लाख करोड़ रुपये) इकोनॉमी के लक्ष्य पर जोर दे रही हैं। लेकिन सरकार के लिए अभी जीडीपी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। सरकार को 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करने के लिए जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार भी तेज करने के लिए काम करना होगा, लेकिन अभी अर्थव्यवस्था की जो रफ्तार है उसके हिसाब से यह दूर की कौड़ी लगती है। इसी वजह से जीडीपी को लेकर सवाल-जवाब तेज हो गए हैं।