Bhopal Desk Gautam
कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को डरा दिया है। जिस तरीके से विश्व के तमाम देशों में कोरोना वायरस की वजह से मौतें हुई हैं उस हिसाब से लोगों में डर का माहौल है। इन लोगों में एक शख्स मेरे पिताजी भी हैं पिछले तीन-चार दिनों से सुबह-सुबह फोन कर मुझसे सारे अपडेट लेते हैं और मुझे अपने दिन भर के अपडेट्स भी देते हैं। इससे पहले कभी ऐसा मुझे याद नहीं है कि ऐसा हुआ हो जब पापा ने दिन में तीन या चार बार मुझे कॉल किया हो। समझिये कोरोना नामक इस दैत्य ने लोगों में किस हद तक डर व्याप्त कर दिया।
आज सुबह भी पिताजी का फोन आया और सबसे पहला सवाल यही किया गया, “घर कब आ रहे हो।” मेरा जवाब फिर वही था “घर आने से कोरोना खत्म हो जाएगा क्या ? ऐसा भी तो सकता है कि मैं ट्रेन पर यात्रा करूं और वहीं से संक्रमित हो जाऊं” उस वक्त सामने से जो जवाब आया वह ना तो मैंने सोचा था और नाही पिताजी ने पहले कभी ऐसी बचकानी बात कही थी। उन्होंने कहा “घर पहुंच जाओ उसके बाद जो होगा वह हमारी जिम्मेदारी। “
एक पिता के तौर पर देखिए तो यह कहना एकदम जायज़ था और बनता भी था लेकिन एक नागरिक और एक पत्रकार होने के नाते मैंने उन्हें समझाया कि “पापा हम तो अइबे ठीक है लेकिन जहाँ-जहाँ से हम अइबे, उठबै-बइठबे अइसन एको सुरक्षित जगह बतावा और हमरा चक्कर में आओ केतना लोग के जान हम खतरा में डालबैय” यानी की जहाँ-जहां मैं जाऊंगा और जहां-जहां से मैं जाऊंगा जहाँ उठूंगा-बैठूंगा क्या ऐसी कोई भी जगह है जो सुरक्षित हो। और अगर मेरी वजह से दूसरों को संक्रमण हो गया तो यह उनके साथ नाइंसाफी नहीं होगी।
यह बातें उस समय तक की है जब तक रेलवे नहीं सारी ट्रेनें कैंसिल नहीं की मैं भी अपना मन बना चुका था कि आज या कल मैं भोपाल छोड़ दूंगा। लेकिन शायद रेलवे को अब यह बात समझ में आ गई है कि वायरस कितना खतरनाक है और इसको अगर अभी नहीं रोका गया तो आगे चलकर भारत की स्थिति बाकी देशों से भी खराब हो सकती है।
पिताजी को तो मैंने समझा दिया है और वे समझ भी गए हैं लेकिन आपको भी यह समझने की जरूरत है कि आप अपने घरों से बाहर रह रहे हैं। आपके घर वालों को आपकी चिंता भी है लेकिन एक देशवासी के तौर पर एक जागरूक नागरिक होने के नाते और एक विद्यार्थी होने के नाते आपका दायित्व बनता है कि आप खुद भी समझे और घरवालों को भी यह बातें समझाएं कि आपका यहां से बाहर निकलना और यात्रा करना कितना खतरनाक हो सकता है।