क्या नेता जी के जन्मदिन पर खत्म हो जाएंगी सभी दूरियां और क्या बन सकती है चाचा भतीजे की सरकार

 
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उनके 81 वे जन्न्मदिन की हार्दिक शुबकामनाएं।  मुलायम सिंह ना सिर्फ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे वो समाजवादी पार्टी के संरक्षक भी थे। हम आपको बता दें  कि मुलायम अपना 81वां जन्मदिन लखनऊ में मना रहे हैं। और उनके जन्मदिन पर सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मंच पर मौजूद हैं। मुलायम ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कार्यकर्ताओं के बीच 81 किलो के लड्डू बटवाऐ। 
 
हम आपको यह भी बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के जरिए मुलायम को जन्मदिन की बधाई दी है। मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट में लिखा, “उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. मैं प्रभु श्री राम से उनके स्वस्थ, सुदीर्घ, समृद्घ एवं सक्रिय जीवन की कामना करता हूं। “

जैसा की अभी हाल में ही  प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हाथ मिलाने के पूर्ण संकेत दिए हैं। शिवपाल ने कहा था, 'हम चाहते हैं नेता जी के जन्मदिन (22 नवंबर) पर परिवार में एकता बढ़ जाए तो अच्छा है। हमारा प्रयास है भतीजा समझ लेगा तो सरकार बना लेगा, मुख्यमंत्री हमें तो बनना नहीं है।”

शिवपाल ने कहा कि हमारी प्राथमिकता है समाजवादी पार्टी, क्योंकि हमने बहुत लंबे समय तक नेताजी के साथ काम किया है हमारी विचारधारा भी समाजवादी है। उनके इन बयानों से तो ऐसा लगता है कि शिवपाल अपना पूरा मन बना चुके हैं सपा के साथ पार्टी बनाने का।  नेताजी के जन्मदिन के अवसर पर दोनों पार्टियां एकता के लिए आगे बढ़ें यही हमारी कोशिश है।  हालांकि अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपने बयानों से ये साफ कर दिया है कि वो किसी के साथ गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ेंगे। इससे तो यही पता लगता है की चाचा भतीजा अब अपनी पार्टी नहीं बना पाएंगे। 

मुलायम सिंह यादव ने पिछले जन्मदिन के मौके पर पुत्र अखिलेश और भाई शिवपाल सिंह यादव, दोनों के साथ अलग-अलग केक काटा था। दोनों के साथ ही खुशियां मनाई थी बस फर्क इतना था की मुलायम दोनों के साथ एक समय पर खुशियां नहीं बना पाए।  इस दौरान नेताजी ने दोनों की ही पार्टियों को आशीर्वाद देकर राजनीतिक पंडितों को भी गुमराह कर दिया था। 

बरहहाल अब ये देखना बहुत दिलचस्प होगा की आखिर चचा भतीजे फिर से एक हो कर चुनाव लड़ पाएंगे या इस चुनाव में भी रहिंगे वो एक दूसरे के विपक्ष में खड़े। 

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