दमोह : ड्रेस निर्माण घोटाले की जड़े नेताओं के घरों तक, जिला प्रशासन की खामोशी पर उठे सवाल

ड्रेस निर्माण घोटाले की जड़े नेताओं के घरों तक,
जिला प्रशासन की खामोशी पर उठे सवाल
 दमोह से शंकर दुबे की रिपोर्ट : –
 स्कूल में बच्चों को बंटने वाली ड्रेस निर्माण कार्य में एनआरएलएम  के घोटाले की लगातार परतें खुलती जा रही हैं। घोटाले की जड़ें कई नेताओं तक फैली हुई हैं। वहीं जिला प्रशासन द्वारा अब तक मामले की जांच के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे प्रशासनिक अधिकारी भी संदेह के घेरे में आ गए हैं।
     राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देश पर बनाई जा रही स्कूल बच्चों की ड्रेस में एन आर एल एम की भूमिका  लगातार संदिग्ध होती जा रही है। ड्रेस निर्माण में बड़े पैमाने पर हुई धांधली की जड़ें भाजपा के कई नेताओं के घरों तक पहुंचती हैं। मालूम हो कि ड्रेस निर्माण का कुल कार्य करीब 10 करोड़ रुपए का है। एन आर एल एम के डीपीएम श्याम गौतम ने मनमाने तरीके से यह कार्य कुछ निजी संस्थाओं को सौंप दिया तथा दिखावे के लिए आंशिक कार्य स्व सहायता समूह के माध्यम से कराया जा रहा है।  जब इस प्रतिनिधि ने मामले की तह में जाकर परतें खोली तो इसमें एक बड़ा घोटाला निकल कर सामने आया। मामले में प्रमुख बात यह है कि यह पूरा कार्य स्व सहायता समूहों के माध्यम से होना था। एनआरएलएम के डीपीएम लगातार झूठ बोलते रहे तथा उनका झूठ पकड़ा भी गया। उन्होंने कहा था कि यह कार्य तीन परियोजनाओं के माध्यम से हो रहा है जिसमें महिला बाल विकास की तेजस्विनी परियोजना शामिल है। जबकि यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि तेजस्विनी परियोजना दमोह जिले में कार्यरत ही नहीं है। इसके अलावा प्रत्येक लाॅट की बुरहानपुर टेस्टिंग लैब से जांच होना थी लेकिन मात्र दो लाॅट  की जांच हुई। इसी तरह कपड़े की गुणवत्ता में 67-33 का रेशियो होना था। उसका भी ध्यान नहीं रखा है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि यह सारी खरीदारी फर्जी टेंडर के माध्यम से दमोह जिले में अजीत मोदी नाम के शख्स से कर ली गई है। जो कि कपड़े का एक थोक व्यापारी तथा भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ का पदाधिकारी भी है। जब इस मामले की जानकारी भाजपा के दो कद्दावर नेताओं को मिली तो उन्हें भी इस गोरखधंधे में शामिल करते हुए लाखों रुपए का लेनदेन किया गया। हैरानी की बात यह है कि जिले में फर्जी तरीके से यह सब कार्य चल रहे हैं। लेकिन जिला प्रशासन के आला अधिकारी उफ तक नहीं कर रहे हैं। वहीं सागर जिले से एक कद्दावर मंत्री के एक खासम खास व्यक्ति को भी मनमाने तरीके से ड्रेस निर्माण का ठेका दे दिया गया। एन आर एल एम के अधिकारियों ने बड़ी चतुराई के साथ भाजपा नेताओं को इसलिए शामिल कर लिया ताकि यदि किसी तरह की कोई जांच खड़ी हो तो वह भाजपा नेता जिला प्रशासन पर दबाव बना सकें। यदि कोई कुछ खुलासा करना भी चाहे तो ऐसा हो न पाए। मामले में यह भी गौरतलब है कि जिला प्रशासन के आला अधिकारी गूंगे बहरे बने हुए हैं। अब पूरा मामला खुलने के बाद उनकी हिम्मत नहीं पड़ रही है कि वह मामले की जांच करा सकें और दोषियों पर कार्यवाही कर सकें।  
 एक पत्रकार भी शामिल : –
ठेकेदारी की इस प्रथा में एक अधिकारी ने दावा किया है कि इसमें एक नामी पत्रकार भी शामिल है जिसने पूरी डीलिंग की है। उक्त अधिकारी के वार्तालाप सहित पूरे प्रमाण इस प्रतिनिधि के पास मौजूद है।
 अब तक जांच क्यों नहीं? 
पिछले दिनों कलेक्टर तरुण राठी ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन 10 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी किसी तरह की जांच नहीं कराई गई है। इससे इतना तो साफ हो गया है कि अधिकारियों पर किस कदर राजनीतिक दबाव बनाया गया है।

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