पोषण आहार के नाम पर भ्रष्टाचार, बच्चियों को सोया बर्फी और खिचड़ी बांट दी पर नाम पते का कोई रिकॉर्ड नहीं, रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे
पोषण आहार के नाम पर भ्रष्टाचार, बच्चियों को सोया, बर्फी और खिचड़ी बांट दी पर नाम पते का कोई रिकॉर्ड नहीं, रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे
भोपाल:- मध्यप्रदेश में पोषण आहार से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. 11 से 14 साल की बच्चियों को टेक होम राशन कि मामले में कैग की रिपोर्ट में कई सवाल खड़े हुए हैं. लाखों बच्चों के नाम पर बड़े घोटाले किए गए हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिलेवार बालिकाओं को घर-घर टेक होम राशन के जो आंकड़े दिए थे उनमें किसी भी जिले के किसी भी आंगनबाड़ी ने कई बच्चियों के नाम और पते की सूची उपलब्धकराने में असमर्थ रही.
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के पास सिर्फ संख्यात्मक आंकड़े हैं इसके अलावा उनके पास तो यह जानकारी भी नहीं है कि किस पते पर रहने वाले किस बच्ची को टेक होम राशन दिया जा रहा है.
यह घोटाला लंबे समय से चला आ रहा है पर इसका खुलासा हुआ है.
क्या है पूरा मामला:-
मध्य प्रदेश में टेक होम राशन स्कीम में बड़ा घोटाला सामने आया है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार केवल 4 जिले, बैतूल, ग्वालियर, डिंडौरी और सिंगरौली में ही 4 करोड़ 26 लाख से ज्यादा का घोटाला हुआ है। अब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने मप्र आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सभी 52 जिलों में जांच के आदेश दिए हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास आयोग अंतर्गत टेक होम राशन योजना चलाई जाती है। जिसके तहत 11 से 14 साल की उन बच्चियों को राशन दिया जाता है जो स्कूल नहीं जाती हैं। साल 2018-19 में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आंगनबाड़ी केंद्रों में दिए जा रहे राशन के क्वालिटी की जांच के लिए MP Agro Tonic और MP Agro Industries Corporation Limited का निरीक्षण करवाया था।
इस दौरान वह प्रदेश के दौरे पर आयीं थीं। दौरे पर उन्होंने पाया कि 11 से 14 साल के बीच ऐसी कई बच्चियां हैं जो स्कूल नहीं जाती। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग से इसकी जानकारी मांगी। तो विभाग ने बताया कि प्रदेश में ऐसी 2 लाख 11 हज़ार 211 बाचियां हैं। जिनमे से 1 लाख 71 हज़ार 365 बच्चीयों को आंगनबाड़ी द्वारा राशन दिया जाता है। आयोग ने जब प्रदेश के शिक्षा विभाग से इस बारे में जानकारी मांगी उसने बताया कि प्रदेश में ऐसी 23 हज़ार 491 बच्चियां हैं जो स्कूल नहीं जाती जिनमे 11 से 14 साल के बीच की केवल 8,680 बाचियां हैं। 2 विभागों के आंकड़ों में इतना ज्यादा अंतर देखने के बाद आयोग ने CAG यानी अकाउंटेंट जनरल को इसकी जांच के निर्देश दिए।
CAG ने रेंडमली प्रदेश के 4 जिलों की प्रारंभिक जांच की। जांच में सामने आया कि स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़े सही हैं। और महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़े पूरी तरह से गलत है। यानी जिन बच्चियों को कागजों में टेक होम राशन दिया जा रहा है उनका अस्तित्व ही नहीं है। अभी तक की जांच के अनुसार बैतूल में 1 करोड़ 17 लाख, ग्वालियर में 1 करोड़ 28 लाख, डिंडौरी में 51 लाख और सिंगरौली में 1 करोड़ 30 लाख का घोटाला सामने आया है। सभी जिलों की रिपोर्ट आने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी कि यह घोटाला कुल कितने का है।