कोरोना का कहर: बढ़ते कोरोना को देखते हुए प्रशासन के लचर रवैये के खिलाफ कांग्रेस जाएगी कोर्ट

कोरोना का कहर: शहर में लाशों के ढेर न लगें इसके लिए कोर्ट जाने की तैयारी में कांग्रेस ,प्रशासनके लचर रवैया के खिलाफ  पार्टी का विरोध प्रदर्शन शुरू

  जबलपुर/तरुण मिश्र :-कोरोना वायरस का बम फूट गया है लोग हाथ में 5-5 लाख रुपए लेकर खड़े हैं लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं। सरकारी अस्पताल मेडिकल के कोविड वार्ड से तीन लोग आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं। मरीजों को लिए ऑक्सीजन नहीं है। भले ही कोविड-१९ लाइलाज हो लेकिन संक्रमण के प्रसार को रोकने का प्रयास विफल है। शहर में प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। बेकाबू होते हालात और प्रशासन के लचर रवैया को लेकर  कांग्रेस ने हाईकोर्ट की शरण ले रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि शहर में लाशों के ढेर न लगें इसके लिए हम न्यायपालिका की चौखट जाने के लिए मजबूर हुए हैं। शहर में बद से बदतर होते हालातों पर काबू पाने में अक्षम प्रशासन के खिलाफ नगर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोमवार को दमोह नाके में प्रदर्शन किया। इन्होंने मांग की शहर में लाशों के ढेर लगने का प्रशासन इंतजार कर रहा है इस पर विराम लगना चाहिए।
नगर निगम में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेश सोनकर ने बताया कि तीन दिन पहले मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की अव्यवस्था ने एक मरीज की जान बचाने के लिए कलेक्टर और सीएमएचओ जैसे जिम्मेदार अधिकारियों को लगातार फोन किए लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। सोनकर ने बताया कि मरीज की ऑक्सीजन के अभाव में अंतत: जान चली गई। 
सोनकर ने बताया कि कांग्रेस ने प्रशासन के लचर रवैया के विरोध में हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है। इस मसले पर वरिष्ठ वकीलों के साथ चर्चा जारी है।

आपदा बढऩे के समय कलेक्टर का कर दिया गया तबादला
सोनकर ने बताया कि पूर्व कलेक्टर भरत यादव जबलपुर के स्वास्थ्य अमले से लेकर हर विभाग से रिदम मिलाकर चल रहे थे और आपदा बढऩे के समय उनका तबादला कर दिया गया। कांग्रेस नेता ने बताया कि शहर में कमांडिंग करने वाला कोई अफसर नहीं दिख रहा। महेशचंद चौधरी के इस माह  सेवानिवृत्त हो जाने के बाद रही सही कसर भी नहीं  रह जाएगी। उन्होंने चौधरी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयास से ही शहर को फीवर क्लीनिक की शुरुआत हुई।
ऑक्सीजन के लिए करें एडीएम को कॉल, लेकिन साहब फोन नहीं उठाते
कांग्रेस के नेताओं ने बताया कि कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर सार्वजनिक तौर पर एडीएम अधारताल और प्रभारी ऑक्सीजन सप्लाई ऋषभ जैन से संपर्क करने का आदेश जारी किया है। लेकिन जरूरतमंदों का कहना है कि एडीएम साहब फोन नहीं उठाते। वहीं पार्टी के नेताओं का कहना है कि सीएमएचओ रत्नेश कुररिया का फोन भी नहीं उठता।
प्रशासन को दिए सुझाव
कांग्रेस ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की रफ्तार पर लगाम लगाने के मकसद से प्रशास को सुझाव दिए हैं।
– मेडिलक कॉलेज और अस्पताल को पूरी तरह कोविड-१९ स्पेशल आधारभूत ढांचे में तब्दील कर दिया जाए।
– मेडिकल में कोरोना के मरीजों के लिए 1000 बिस्तरों वाला विशेष अस्पताल बनाया जा सकता है। यहां आक्सीजन की पाइपलाइन लगाकर जरूरतमंदों को आक्सीजन की सप्लाई की जा सकती है।
-मेडिकल  के अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को विक्टोरिया, एल्गिन अस्पतालों में कुछ समय के लिए शिफ्ट कर दिया जाए।
– अलग-अलग क्षेत्रों के लगभग 25 सामुदायिक भवनों, शासकीय, अर्ध शासकीय और निजी महाविद्यालयों को कोविड सेंटर में बदला जाए।
– होम्योपैथी, आयुर्वेद की डिग्री रखने वाले मानव संसाधन  का उपयोग प्राथमिक उपचार की सुविधा में  किया जा सकता है। यह कदम डॉक्टरों की कमी को पूरा करेगा।
-रेडक्रॉस सोसायटी और अन्य समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद ली जा सकती है।
तैयार हो सकता है २००० बेड का कोविड अस्पताल
मुख्यमंत्री और सांसद से बातचीत के बाद भी नहीं सुधर रहा शहर में स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा
-मेडिकल कॉलेज और सुखसागर अस्पताल को मिलाकर कोरोना के लिए खास २००० बिस्तरों वाला अस्पताल बनाया जा सकता है। लेकिन इन जायज मांगों की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर सांसद राकेश सिंह तक अनदेखी कर रहे हैं। मेडिकल के कोविड वार्ड में मरीजों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है वहीं आक्सीजन सप्लाई की पाइपलाइन का काम भी अधूरा पड़ा है।

 

शहर में बिगड़ते हालात से चिंतित कांग्रेस के मध्य क्षेत्र विधानसभा के विधायक विनय सक्सेना ने बताया कि भोपाल के चिरायु अस्पताल को सरकार ने  अच्छी खासी रकम दी है और वहां कोरोना के मरीजों को मुफ्त में इलाज मिल रहा है तो जबलपुर के सुख सागर अस्पताल में मुफ्त उपचार क्यों नहीं किया जा सकता। सक्सेना ने बताया कि शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टर की पत्नी और बेटा पॉजिटिव हैं लेकिन उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में खाली बेड नहीं मिल पाए। कॉलेज के डीन डॉ कसार से बातचीत करने के बाद भी बेड नहीं मिल पाए।

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