GI टैगिंग को लेकर सीएम शिवराज ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा पत्र
मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग देने को लेकर पंजाब सरकार द्वारा विरोध किया जा रहा है जिस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आखिर पंजाब सरकार को हमसे क्या दुश्मनी है. जीआई टैग इन को लेकर अब मध्यप्रदेश में सियासत शुरू हो गया है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस और कमलनाथ यह बताएं कि क्या वह हमारे साथ है या नहीं. सीएम शिवराज ने ट्वीट कर कहा कि हम हमारे प्रदेश के किसानों को उनका हक दिलवा कर रहेंगे
मैं मध्यप्रदेश के अपने बासमती उत्पादन करने वाले किसानों की लड़ाई लड़ रहा हूं। उनके पसीने की पूरी कीमत उन्हें दिलाकर ही चैन की सांस लूंगा। GI टैगिंग के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। मुझे विश्वास है कि प्रदेश के किसानों को न्याय अवश्य मिलेगा।
मध्यप्रदेश के किसान 1908 से बासमती का उत्पादन कर रहे हैं और पंजाब व हरियाणा के निर्यातक खरीदकर इसका लाभ स्वयं ले रहे हैं। यह हमारे किसानों के साथ अन्याय है। इन्हें इनका हक और न्याय मिलना ही चाहिए।
https://twitter.com/ChouhanShivraj/status/1291320280372015107?s=19
मध्यप्रदेश के बासमती को GI दर्जा देने के लिए रजिस्ट्रार ज्योलॉजिकल इंडीकेशन, चेन्नई ने APEDA को आदेशित किया है। प्रदेश में बासमती की खेती परम्परागत रूप से होने के संबंध में IIRR हैदराबाद एवं अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा प्रतिवेदित किया गया है।
भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि मध्यप्रदेश के किसानों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें। प्रदेश के बासमती को GI दर्जा प्रदान किये जाने के संबंध में सर्व-संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें, ताकि बासमती किसानों को उनका हक मिल सके।
https://twitter.com/ChouhanShivraj/status/1291320285065408512?s=19
GI टैगिंग को लेकर कमलनाथ ने किया ट्वीट:-
कमलनाथ ने जी आई टैगिंग को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि भाजपा हर मामले में झूठ बोलने व झूठ फैलाने में माहिर है।
मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जी.आई टेग मिले , मैं व मेरी सरकार सदैव से इसकी पक्षधर रही है और मैं आज भी इस बात का पक्षधर हूँ कि यह हमें ही मिलना चाहिये।
मैं सदैव प्रदेश के किसानो के साथ खड़ा हूँ , उनके हितो के लिये लड़ता रहूँगा , इसमें कोई सोचने वाली बात ही नहीं है।
बासमती चावल को जी.आई.टेग मिले , इसकी शुरुआत ऐपिडा ने नवम्बर 2008 में की थी।
उसके बाद 10 वर्षों तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही।
जिसने इस लड़ाई को ठीक ढंग से नहीं लड़ा। जिसके कारण हम इस मामले मे पिछड़े।
केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार के दौरान ही 5 मार्च 2018 को
जी.आई.रजिस्ट्री ने मध्यप्रदेश को बासमती उत्पादक राज्य मानने से इंकार किया।
प्रदेश हित की इस लड़ाई में अपनी सरकार के दौरान 10 वर्ष पिछड़ने वाले आज हमारी 15 माह की सरकार पर झूठे आरोप लगा रहे है , कितना हास्यास्पद है।
हमने हमारी 15 माह की सरकार में इस लड़ाई को दमदारी से लड़ा।
अगस्त 2019 में इस प्रकरण में हमारी सरकार के समय हुईं सुनवाई में हमने दृढ़ता से शासन की ओर से अपना पक्ष रखा था।
पंजाब के मुख्यमंत्री वहाँ के किसानों की लड़ाई लड़ रहे है।
मैं प्रदेश के किसानो के साथ खड़ा हूँ , सदैव उनकी लड़ाई को लड़ूँगा।
इसमें कांग्रेस – भाजपा वाली कुछ बात नहीं है।
इस हिसाब से तो केन्द्र में तो वर्तमान में भाजपा की सरकार है , फिर राज्य की अनदेखी क्यों हो रही है ?