"उपचुनाव" : 15 साल बनाम 15 महीने, कमलनाथ बोले, "पद" खोने का दुःख नहीं…..

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश में कोरोना (Corona) थामते ही उपचुनाव (By Election) होंगे। ये उपचुनाव कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) दोनों ही पार्टियों की दिशा को तय करेंगे। दरअसल, बीजेपी के पास अभी बहुमत तो है लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए उसे कम से कम 15 सीटें जीतना होंगी ताकि फिर उसकी सरकार पर किसी तरह का कोई खतरा न रहें। वहीं, कांग्रेस भी इस उपचुनाव में 18 से 20 सीट जीतना चाहेगी, ताकि वो सत्ता में वापसी कर सकें।

कांग्रेस ने आने वाले उपचुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। कांग्रेस हर हाल में सत्ता पर वापसी करना चाहती हैं। बता दे कि कांग्रेस अब भाजपा के खिलाफ आक्रामक अंदाज में चुनाव प्रचार (Election Promotion) में उतरेगी। कांग्रेस जिला स्तर (District Level) पर और विधानसभा स्तर (Vidhansabha Level) पर प्रवक्ताओं की फौज भी तैयार करेगी। ये प्रवक्ता उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में 15 साल और 15 महीने के कामकाज का अंतर बताकर जनता से समर्थन मांगेंगे।

दरसअल, बीजेपी में 15 साल मध्यप्रदेश में राज किया, जबकिं कांग्रेस की सरकार 15 महीनों में ही गिर गई। अब इसी को देखते हुए कांग्रेस उपचुनाव वाली सभी विधानसभा सीटों (Vidhansabha Seats) पर जनता के सामने 15 साल बनाम 15 महीने का कामकाज रखेगी।

कांग्रेस जनता को बताएगी कि भाजपा ने पिछले 15 साल में प्रदेश में क्या किया और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) ने पिछले 15 महीने में प्रदेश की जनता की बेहतरी के लिए क्या-क्या योजनाएं शुरु कीं।

मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस सरकार के कामकाज की तुलना कर सोशल मीडिया (Social Media) पर भी अभियान चलाया जाएगा ताकि जनता के सामने ये स्पष्ट किया जा सके कि आखिर उनका हितैषी कौन हैं।

इधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) ने कहा कि उन्हे पद जाने का दुख नहीं है बल्कि इस बात का दुख है कि उन्होंने प्रदेश की तरक्की के लिए जो योजनाएं शुरु की थीं वे आगे नहीं बढ़ पाईं।

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