सिवनी – जहां लाशें जलाई जानी चाहिए ,वहां दबंगों की लहलहा रहीं फसलें ,ग्रामीण गंदा जल पीनें को मजबूर

सिवनी – जहां लाशें जलाई जानी चाहिए ,वहां दबंगों की लहलहा रहीं फसलें ,ग्रामीण गंदा जल पीनें को मजबूर
 

द लोकनीति के लिये महेन्द्र सिंघ नायक की रिपोर्ट

भुरकुण्डी के शाँतिधाम में नजर आता पंचायत का भ्रष्टाचार
सिवनी ग्राम पंचायत मोहंगाँव के ग्राम भुरकुण्डी का शमशान भी पंचायत के स्वार्थ व भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा है! मनरेगा अन्तर्गत यहाँ शाँतिधाम निर्माण के नाम पर ग्राम पंचायत ने आवंटित राशि को स्वयं के स्वार्थ में व्यय कर लिया है। मनरेगा की वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2015-16 में शाँतिधाम का निर्माण जनसुविधा विस्तार आदि किया गया है। साथ ही एक अन्य मद में मनरेगा अन्तर्गत ही शाँतिधाम में वृक्षारोपण भी किया गया है। जिसके लिये आवंटित राशि बाकायदा व्यय कर ली गई है, तथा कार्य पूर्णता से सम्बन्धित सीसी आदि भी जारी करा ली गई है। जबकि सच्चाई में उक्त शमशान तो कहीं बचा ही नहीं है। शमशान भूमि में अतिक्रमण का साम्राज्य है। एक छोटे से टुकड़े को छोड़ दें तो शेष पूरे में गेहूँ की फसल लहलहा रही है।
     जब शमशान के लिये भूमि तक नहीं बच रही है तो ग्राम पंचायत ने कहाँ निर्माण करा दिया। ये वृक्षारोपण कहाँ करा दिया, यदि ये सब नहीं हुआ तो शासकीय राशि कहाँ खर्च कर दिया और किसे उपकृत कर रही है ग्राम पंचायत मोहंगाँव। और सबसे बड़ा सवाल कि बिना निर्माण के किस अधिकारी ने कैसे इसका क्लियरेंस सर्टिफिकेट जारी कर दिया।
शासन की 472000 की राशि खर्चकर भी जनता को पेयजल के लिये तरसा रही ग्राम पंचायत मोहंगाँव
शमशान में हो रही खेती
मनरेगा अन्तर्गत निर्मित शाँतिधाम भी चढ़ा पंचायत के भ्रष्टाचार की भेंट,यहां न कोई निर्माण न सुविधा। शमशान में हो रही खेती, लगी है गेहूँ की फसल।

सिवनी की मोहंगांव का है मामला
   मामला सिवनी जिला के विकासखण्ड लखनादौन की ग्राम पंचायत मोहंगाँव ;धूमाद्ध का है। यहाँ की पंचायत ने अपने स्वार्थ के लिये न केवल शासन की जनहितैषी कार्यों की राशि का सत्यानाश किया है बल्कि जनता को जीवन और मरण के बाद की आवश्यकता तक से वंचित रखा है।
पन्नों पर दर्ज है नल-जल योजना
       ग्राम पंचायत मोहंगाँव,धूमाद्ध में तीन ग्राम सम्मिलित हैं। जो मोहंगाँव, सुक्कम व भुरकुण्डी हैं। इनमें सुक्कम.भुरकुण्डी दोनों ही एक ग्राम के रूप में आपस में जुड़े हुये हैं। इन्हीं दोनों ग्रामों में संयुक्त रूप से पेयजल के लिये नल-जल योजना संचालित की जाती है, जो केवल अपने सैद्धांतिक रूप में ही है। भौतिक रूप से यह नल-जल योजना ग्राम में न कहीं नजर आती है। न इससे पानी ही मिलता है! कुल मिलाकर कहा जाये तो यह योजना पंचायत के कर्ता-धर्ताओं को आर्थिक रूप से पानी पिलाने के लिये ही है। ग्रामवासियों के लिये तो कुँयें के गन्दे पानी पर ही निर्वाह करना ही भाग्यादेश है।
  द लोकनीति के सवाददाता ने लिया जायजा
   सुक्कम,भुरकुण्डी में पेयजल समस्या की जानकारी मिलने पर ष्द लोकनीति सम्वाददाता ने इस ग्राम पंचायत की नल-जल योजना से सम्बन्धित जानकारी जुटाई एवं ग्राम में पहुँचकर धरातलीय वास्तविकता का पता लगाया। पंचायत दर्पण की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इस ग्राम पंचायत ने वर्ष 2018-19 में पाइपलाइन मरम्मत के नाम पर 472000 की स्वीकृत राशि का व्यय किया है। जबकि इससे सम्बन्धित बिल व कार्य की फोटो आदि बेबसाइट में नहीं है। इस प्रकार पंचायत ने नल-जल योजना के सुधार मरम्मत के नाम पर शासकीय राशि व्यय कर दी है, इस हिसाब से ग्रामवासियों को इस नल-जल योजना से पेयजल उपलब्ध होना चाहिये, परन्तु वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है, गाँव में ढूँढने पर भी कहीं पानी पाइपलाइन या नल की टोंटियां नजर नहीं आतीं।

वर्षों से बंद पड़ी हैं पाइपलाइनें
 ग्रामवासियों का कहना है कि कई वर्षों ये इस पाइपलाइन से पानी सप्लाई बन्द पड़ी है। लोगों को पानी जुटाने के लिये गाँव से लगभग आधा किलोमीटर  दूर स्थित कुँये से पानी लेने जाना होता है,
कुएं का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं ग्रामीण
यह कुआँ भी गन्दे पानी का ही स्रोत है। कपड़े से छानकर पानी लाना पड़ता है जो गंभीर बीमारियों को दावत देता है।

कौन है इसका जिम्मेदार
    अब सवाल यह उठता है कि शासन की इतनी बड़ी राशि खर्च करके यदि यह नल-जल योजना का सुधार और मरम्मत किया गया है, तो यह संचालित क्यों नहीं है। कहीं सुधार, मरम्मत के नाम पर पंचायत ने शासकीय राशि का दुरुपयोग तो नहीं कर दिया। ग्राम में एक ओर पेयजल की जारी समस्या और दूसरी ओर पेयजल के नल-जल पर हुये व्यय पंचायत के भ्रष्टाचार की ओर सीधा इशारा करते हैं। इसकी अधिकृत जानकारी के लिये यहाँ की सरपंच प्यारीबाई बरकड़े से संपर्क करने का प्रयास किया गया परन्तु उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। उनके स्थान पर वास्तविक सरपंच के स्थान पर पंचायत के कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से सक्रिय रहने वाले उनके पति साहबलाल बरकड़े ही सामने आये। उन्होंने उक्त पाइपलाइन की मरम्मत पर राशि व्यय होने की बात स्वीकारते हुये इस पाइपलाइन के गत वर्षा ऋतु से बन्द होना बताया! इसी के साथ इस सुधार कार्य के मूल्यांकन न होने की बात भी बताई गई। हालांकि आधिकारिक आँकड़ों के लिये इनके द्वारा सम्वाददाता को पंचायत भवन में आने के लिये कहकर टाल दिया गया। सम्वाददाता जानकारी लेने पंचायत के चक्कर काटते रहा। पर पंचायत कार्यालय में पूरे दिवस ताला लटका रहा। वहीं यहाँ के सचिव दिलीप मरावी से मोबाइल फोन पर जानकारी लेने पर पाइपलाइन चालू होना बताया गया! पंचायत के कर्ताधर्ताओं के ये परस्पर विरोधी कथन गम्भीर गड़बड़ी का स्पष्ट संकेत हैं!

आवस योजना में भी हो रही है जमकर धांधली
     इन दो उदाहरणों के अतिरिक्त प्रधानमंत्री आवास, शौचालय निर्माण ग्रेवल रोड निर्माण एवं सड़क किनारे वृक्षारोपण जैसे अनेकों काम हैं, जिनमें पंचायत द्वारा गुणवत्ता की उपेक्षा की गई है। इसमें भी कई कार्य संदिग्ध लगते हैं। सक्षम अधिकारियों को इसकी जाँचकर उचित कार्यवाही करना चाहिये, ताकि शासकीय राशि का व्यय सही से हो और जनता को सुविधा मिल सके।
अधिकारी काट रहे कन्नी
 ग्राम पंचायत सचिव दिलीप कुमार का कहना है कि
पाइपलाइन चालू है, मैं इस पंचायत में नया हूँ, यहाँ की ज्यादा जानकारी मुझे नहीं है।

द लोकनीति के लिये महेन्द्र सिंघ नायक

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