भोपाल : सिर्फ कागजी इंतजामों से रुकेगा कोरोना ?
भोपाल/राजेश्वरी शर्मा: प्रदेश में एक तरफ कोरोना का संक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है है तो दूसरी ओर मेंलो और हाट का संचालन भी ज़ोरों शोरों से चल रहा है, जहां कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ज़रूरी है वहीं प्रदेश कोरोनावायरस को मेलों और आयोजनों के जरिए आमंत्रण दे रहा है। प्रदेश में कोरोना के संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है, अकेली राजधानी भोपाल में 235 नए मरीज मिले और एक्टिव मरीजों की संख्या 1000 के पार हो गई।
ना कोई मास्क, ना सोशल डिस्टेनसिंग किस आधार पर प्रदेश कोरोना को मात देने वाला है? सरकार एक तरफ नाईट कर्फ्यू का एलान करती है तो दूसरी तरफ मेलों और हाट को बंद करने के लिए कोई कदम नही उठाती। मेलों के द्वारा संक्रमण घर घर पहुँच रहा है। हज़ारों की तादाद में लोग इकठ्ठा होते है, जहां कोइ मास्क नही लगाता ओर सोशल डिस्टेनसिंग के पालन का तो नामोनिशान नही है।
लोग मेलों का आनंद लेने आते है और बदले में कोरोना संक्रमण अपने घरों में लेकर जाते है।
लाल परेड ग्राउंड पर चल रहे हुनर हाट में हर रोज 5000 से ज्यादा लोग इकट्ठा हो रही है, मंगलवार को भी यहां इतनी ही लोग पहुंचे इसके अलावा दो दिन चल रहे शिक्षा विभाग के सांस्कृतिक कार्यक्रम अनुगूंज में रोज एक हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए है। जहां सरकार को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाना चाहिए वहां प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कार्यक्रम में शामिल हुए।
यह कार्यक्रमों पर सही वक्त पर रोक ना लगने से जो नुकसान होगा क्या उसकी भरपाई करने के लिए सरकार तैयार है? क्या अस्पतालों के बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है? क्या हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं? क्या मेलों की भीड़ को कम किया जा रहा है? क्या सोशल डिस्टेनसिंग और मास्क जैसे एतिहात बरते जा रहे है?
इन सभी सवालों का जवाब हम सब अच्छी तरह से जानते है। प्रदेश में एतिहात तो नही पर लापरवाही ज़रूर बरती जा रही है। जिसका परिणाम प्रदेश के हर व्यक्ति के लिए चिंता का विषय है।