मंत्री जी क्या प्रवचन से स्वच्छ हो जाएगा मध्यप्रदेश

भोपाल : समूचे विश्व में आज पर्यावरण संरक्षण को लेकर नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. ऐसे में क्या हमारा देश और हमारा प्रदेश ऐसी कोई कदम उठा रही है। जिससे पर्यावरण संरक्षण हो सके या फिर पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जा सके। चलिए आज आपको मध्यप्रदेश की सैर करवाते हैं मगर ध्यान रहे अपना नाक वाला मास्क और बिसलेरी बोतल साथ रखिएगा क्योंकि हवा में प्रदूषण और दूषित पानी आपके हाजमे और स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती है। बात करने से पहले प्रदेश के पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह से आपकी शाब्दिक मुलाकात करवा देते हैं। अगर आप इनके आधिकारिक ट्विटर अकाउंट को खंगालेंगे तो सिवाय केंद्र की मोदी सरकार पर लांछन लगाने के अलावा शायद ही पर्यावरण संबंधित पोस्ट आपको मिल जाए। हां पर्यावरण संबंधित वही पोस्ट आपको इनके ट्विटर अकाउंट पर मिलेगा जिसमें आम जनों ने खुद के दम पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कदम उठाया हो। 2 महीने के ट्विट्स को उठाकर देखें तो सिर्फ मोदी को लानते और छुटपुट पर्यावरण संबंधित ज्ञान मिलेगा। दिल्ली प्रदूषण पर ज्ञान देते तो जरूर आते हैं मगर अपने क्षेत्र की जनता के लिए सिर्फ प्रवचन। पता नहीं शायद प्रवचन से ही पर्यावरण को ठीक किया जा सकता है। मंत्री जी कभी भोपाल में आकर खुली हवा और नर्मदा से आती पानी को पीकर जनता को दिखा दीजिए कमलनाथ और आप पर लोगों का विश्वास और प्रगड़ हो जाएगा। मंत्री से तो आप मिल चुके हैं,चलिए मध्य प्रदेश की आबोहवा से आपको रूबरू करवाते हैं।  हाल ही में केंद्र सरकार ने 112 प्रदूषित शहरों का लिस्ट जारी किया था जिसमें प्रदेश के 7 शहरों का नाम शामिल है मंत्री जी अगर प्रवचन कम और काम ज्यादा कर लिए होते तो शायद आप नौजवान प्रदेश झारखंड से पीछे रहते।बता दें कि जारी लिस्ट में झारखंड का एकमात्र शहर धनबाद नजर आता है। 
 क्या है प्रदेश की स्थिति 
 बात अगर प्रदेश की राजधानी की जाए तो यहां हवा सांस लेने लायक नहीं है। क्योंकि हवा में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषण का पीएम 2.5 की मौजूदगी 98 ug /m3  और pm10 की मात्रा 104 ug /m3 है। 
 क्या होता है पीएम 2.5 और पीएम 10
दरअसल ये सूक्ष्म कण हवा से मिलकर हवा को प्रदूषित कर देती है।जिसके कारण आप के फेफड़े लीवर और किडनी में खासा असर होता है। वैसे भी मध्य प्रदेश अस्थमा रोगियों का गढ़ है जहां साल दर साल रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा होता रहता है। बात अगर अन्य शहरों की की जाए तो स्थिति कुछ खास नहीं है। सागर की स्थिति खासी अच्छी नहीं है क्योंकि यहां पीएम 2.5 और पीएम 10 की मौजूदगी 71 और 80 मीटर क्यूब है। 
 अगर आप कांग्रेस सरकार के 2018 का वचन पत्र पड़ेंगे तो कहीं भी पर्यावरण संबंधित सुधार के बारे में बात नहीं कही गई है की कैसे सरकार या पर्यावरण मंत्री हवा और पानी को शुद्ध करेंगे। यह समझ से परे है पर्यावरण मंत्री भोपाल में चलित बीपीसीएल की पुरानी बसों में सफर जरूर करें कम से कम भोपाल वासियों को धुआं छोड़ती बसों से छुटकारा तो मिल जाएगा। 
सफाई के नाम पर ठन ठन गोपाल 
शायद सफाई भी पर्यावरण के घेरे में ही आती होगी लेकिन क्या इंदौर के अलावा कोई शहर अपने साफ होने का दावा पेश कर सकती है ?जरा समय मिले तो पर्यावरण मंत्री राजधानी भोपाल के वार्डो में ही घूम आइए।सफाई का आलम का पता चल जाएगा। मंत्री जी इसका ठीकरा नगर निगम और पार्षदों पर फोड़ देंगे। अंत में सिर्फ इतना है की
” खुली हवा में ,स्वच्छ पानी का सपना ,शायद कभी होगा अपना “

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