- जीतू पटवारी के सभी वायदे झूठे
- 8 मार्च को विश्व महिला दिवस के दिन महिला अतिथि विद्वान कराएंगी सामूहिक मुंडन
भोपाल /गरिमा श्रीवास्तव :- विगत 86 दिनों से अपने नियमितीकरण के मांग को लेकर राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में अपने अतिथिविद्वान लगातार आन्दोलन कर रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी(Jitu Patwari) ने उनसे निरंतर झूठे वादे करके उन्हें दाने दाने के लिए मोहताज कर दिया है।
विगत 12 अक्टूबर को नीलम पार्क में आकर उन्होंने कहा था कि आप लोग चिंता न करें आप हमारे परिवार के सदस्य हैं और मैं परिवार के सदस्यों के साथ धोखा नही कर सकता। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं आप सभी लोगों को नियमित करूँगा यह मेरा दायित्व है। और वह इस प्रकार के वादे करके मुकर गए हैं। इस साल की पूरी शीत ऋतु अतिथि विद्वानों की इसी शाहजहानी पार्क में व्यतीत हुई चाहे वह निरंतर बरसात हुई हो चाहे ओला वृष्टि हुई हो चाहे हाड़ कपा देने वाली ठंडी रही हो लेकिन अतिथि विद्वान और उनके परिवार के छोटे छोटे बच्चों ने इसी शाहजहानी पार्क में ठिठुर ठिठुरकर अपनी रात बिताई। अतिथि विद्वान इसी आशा में अब तक निरंतर बैठे हुए है कि अनाथों के नाथ कमलनाथ हैं। उनके कानों में जब हमारी आवाज पहुंचेगी तो वो निश्चित अतिथि विद्वानों की पीड़ा सुनेंगें और जीवन रक्षक बनकर हम सबके सामने आएंगे।
अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने यह जानकारी है कि दिनांक 8 मार्च को विश्व महिला दिवस(International Women Day)के दिन महिला अतिथि विद्वान सामूहिक मुंडन कराएंगी। महिलाओं का कहना है कि जब मंत्री जी ने पेट का निवाला ही छीन लिया तो अब काहे का श्रृंगार और काहे की परम्परा । अब तो हमारा सब छिन गया है । अब प्राण बस बचे हैं। एक दिन उन्हें भी घोषणा करके उच्च शिक्षा मंत्री जी को समर्पित कर दूँगी।
सरकार की जनविरोधी नीति से लगातार अतिथिविद्वान परेशान हैं। उनके बच्चों की मौत हो गई खुद लड़ाई से हार कर अतिथि विद्वान् मौत के मुँह में समां गए लेकिन कांग्रेस सरकार को इसकी ज़रा भी खबर नहीं है। कभी वह आईफा कराने में व्यस्त रहती है तो अब हॉर्स ट्रेडिंग में व्यस्त हो चुकी है।
अतिथिविद्वान मरे या जिए इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है। आखिर कब तक कमलनाथ सरकार ऐसी जनविरोधी नीतियों से शासन करेगी?
एक तरफ वह इंदौर को करोड़ों रूपए दे रही है और दूसरी तरफ अतिथिविद्वान का वेतन देने में असमर्थ है। रूपए देकर कमलनाथ सोचते हैं कि वह अपना वोट बैंक तैयार कर लेंगे पर वह शायद यह भूल रहे हैं कि जनता इतने दिनों से अतिथि विद्वान् की पीड़ा को देख रही है। और अतिथि विद्वान् स्वयं वोट देने वाले नागरिक हैं।तो अगला वोट बैंक किसके लिए खुलने वाला है यह तो चुनाव के परिणाम ही बताएँगे।