Kolkata News Gautam :- रविवार को पीएम मोदी ने नागरिकता अधिनियम (सीएए) पर बेलूर मठ में लोगों को संबोधित किया था। इस पर बेलूर मठ संस्थान के सदस्यों ने नाराजगी व्यक्त की है ।एक रिपोर्ट की माने तो मिशन के सदस्यों ने कहा है कि “रामकृष्ण मिशन के मंच से विवादास्पद राजनीतिक संदेशों को प्रसारित किए जाने से उन्हें ठेस पहुंची है और वो दुखी हैं ” उन्होंने कहा कि यह कोई राजनैतिक मंच नहीं है जहाँ आकर आप राजनैतिक बातें करें।
रामकृष्ण मिशन की माने तो मठ में आना और अभिषेक करना एक आधिकारिक और विस्तृत प्रक्रिया है। आगे उन्होंने कहाँ प्रधानमंत्री मोदी का आधिकारिक तौर पर अभिषेक नहीं किया गया था। उन्होंने मोदी पर आरोप लगाते हुए बोला कि उन्होंने मिशन के नियमो को तोडा है यहाँ किसी भी राजनैतिक आदमी को राजनितिक भाषण देने का हक़ नहीं है।
रामकृष्ण मिशन का हो रहा है राजनीतिकरण
वहीँ उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए बोला कि पिछले कुछ वर्षों में रामकृष्ण मिशन का काफी राजनितिक इस्तेमाल किया गया है। मिशन को मूल मुद्दे से भटकाया जा रहा है। ऐसा भी आरोप लगाया गया है कि आरएसएस के साथ मिलकर मोदी रामकृष्ण मिशन का राजनितिक गहरीकरण करना चाहते हैं। उनका यह दौरा भी उसी से प्रभावित था।
क्या कहा था मोदी ने
पीएम मोदी ने बेलूर मठ से अपने संबोधन के दौरान कहा था कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीन लेगा। मोदी ने यह भी कहा कि युवाओं के एक वर्ग को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में गुमराह किया जा रहा है।
छात्रों ने लिखा था पत्र
मिशन के कुछ शिष्यों ने एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी की बेलूर मठ यात्रा रद्द की जाए। पत्र में लिखा गया था कि , ‘रामकृष्ण मिशन का छात्र होने के नाते मैं बेलूर मठ प्रशासन से गुजारिश कर रहा हूं कि नरेंद्र मोदी की यात्रा रद्द की जाए। पत्र में मोदी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा गया कि रामकृष्ण, सारदा और स्वामी विवेकानंद के स्थान पर एक ऐसे व्यक्ति को नहीं बुलाया जाना चाहिए जिसने लोगों के लिए समस्याएं खड़ी की हों।
वहीं रामकृष्ण मिशन के महासचिव स्वामी सुविरानंद ने संवाददाताओं से कहा, ‘रामकृष्ण मिशन प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी नहीं करेगा. हम पूरी तरह अराजनीतिक संस्था हैं. हम सीएए पर प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी नहीं कर सकते. हम अपना घर-बार छोड़कर शाश्वत चीजों का जवाब देने यहां आए हैं. हम क्षणिक चीजों का जवाब नहीं देते हैं.’
विपक्ष ने भी किया विरोध
विपक्षी पार्टियों ने भी बेलूर मठ से कथित तौर पर ‘राजनीतिक भाषण’ देने के लिए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह आध्यात्मिक स्थल का अंतर भूल गए और विभाजनकारी नए नागरिकता कानून को लागू करने के पक्ष में रैली करने का दुस्साहस कर रहे हैं। वहीँ तृणमूल कांग्रेस, माकपा और कांग्रेस ने दावा किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों ने केंद्र को कठिनाई में डाल दिया है। आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को बेलूर मठ की पवित्र भूमि को अपनी विभाजनकारी राजनीति से बख्श देना चाहिए था।