अतिथि विद्वानों की यही पुकार, हमें जल्द नियमित करो सरकार…

अतिथि विद्वानों की यही पुकार,  हमें जल्द नियमित करो सरकार…

 भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:- कोरोनावायरस महामारी के बीज अतिथि विद्वानों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है वह डिप्रेशन का शिकार होते जा रहे हैं, वजह यह है कि 6 महीने से अभी तक अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं हो सका है. 
 अतिथि विद्वानों ने सीएम शिवराज से आग्रह करते हुए कहा कि आप हमारे दुख से भलीभांति परिचित हैं, बेरोजगारी के दुख को ना सह पाने की वजह से पांच अतिथि विद्वानों ने मौत को गले लगा लिया, स्थिति यह हो गई है कि आज उनका परिवार दर-दर ठोकरें खाने की हालत में है, करीब 1700-1800 अतिथि विद्वान आज भी फालेन आउट हैं. स्थिति यह हो गई है कि अतिथि विद्वानों में अब डिप्रेशन जैसे विकार उत्पन्न होने लगे हैं. 

 सीएम शिवराज द्वारा तत्कालीन सरकार कमलनाथ के सत्ता काल में नियमितीकरण दिलाने की बात कही गई थी :-

 बताते चलें कि जिस वक्त प्रदेश में कमलनाथ की सरकार थी, उस वक्त शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों के धरना अस्थल शाहजहानी पार्क पहुंचकर उनसे वायदा किया था कि शिवराज सरकार आते ही सभी अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण कराया जाएगा… 
 पर अभी तक अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं हो सका है. दिन-ब-दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है डिग्री होल्डर अतिथि विद्वान मजदूरी कर रहे हैं. 

 अतिथि विद्वानों ने कहा कि अतिथि विद्वानों के हित में अब तक जितने भी फैसले लिए गए हैं सब भाजपा सरकार द्वारा ही लिए गए, चाहे वह 12 महीने की नौकरी का हो या फिर वेतन व्यवस्था का हो, कांग्रेस की सरकार ने सभी अतिथि विद्वानों के साथ छल कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है.. 
 पर हमारी शिवराज सरकार से उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द नियमितीकरण कराएंगे. आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पूर्व ही अतिथि विद्वानों ने नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की जिसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि बहुत जल्द ही अतिथि विद्वानों के हित में फैसला लिया जाएगा. 
 नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात के बाद अतिथि विद्वान पूर्व मंत्री इमरती देवी से भी मिले. इमरती देवी ने भी सभी अतिथि विद्वानों को आश्वासन दिया है कि भाजपा सरकार बहुत जल्द से जल्द अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण करें हालांकि कोरोनावायरस महामारी के दौरान संकट की स्थिति में थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है पर सरकार प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण कराया जाए. 
 अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुजीत सिंह भदोरिया का कहना है कि हमारे ज्यादातर अतिथि विद्वान साथ ही 45 से 55 वर्ष के हो चुके हैं, इस उम्र में हम सब अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए आखिर कहां जाएं? इस उम्र में कोई भी हमें रोजगार नहीं देगा. हम सब अतिथि विद्वानों ने प्रदेश की अशासकीय विद्यालयों में अपनी सेवाएं दी है,  15 से 20 वर्ष यह सेवाओं का परिणाम यह निकले कि हम दर दर की ठोकर खाए और डिप्रेशन में आकर अपनी जान तक गवा दें, ऐसी परिस्थितियां अब और ना हो… 

 अब देखना यह होगा कि अतिथि विद्वानों के हित में आखिर शिवराज सरकार कब और कितने वक्त में फैसला लेती है

 

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