भोपाल :- 25 वर्षों से उच्च शिक्षा की बागडोर संभाल रहे अतिथि विद्वानों को नियमितीकरण का इंतज़ार

भोपाल :- 25 वर्षों से उच्च शिक्षा की बागडोर संभाल रहे अतिथि विद्वानों को नियमितीकरण का इंतज़ार
फॉलेन आउट अतिथि विद्वान व उनके परिवार लगातार कर रहे आत्महत्या
भोपाल
:-पिछले 25 वर्षों से मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा की बागडोर प्रदेश के उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों ने संभाल रखी है।आज लाखों करोड़ों युवाओं का भविष्य यही उच्च शिक्षित अतिथि विद्वान गढ़ते चले आ रहे हैं लेकिन खुद अपने अनिश्चित भविष्य और अधर में लटकी जिंदगी के कारण मौत को गले लगा रहे हैं।आज बड़ा प्रश्न प्रदेश सरकार के साथ साथ प्रदेश की करोड़ों जनता के सामने खड़ा है कि कैसे कोई अपने बेटे बेटियों को नेट पीएचडी जैसे डिग्री के लिए पढ़ाई करवाएंगे क्योंकि उच्च शिक्षा में अपनी पूरी जिंदगी खपा देने वाले अतिथि विद्वानों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है,अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के मुद्दे पर ही वर्षों से सरकारें बनती व बिगड़ती चली आ रही हैं,जब भी विपक्ष में आते हैं तो अतिथि विद्वानों की पीड़ा दुख दर्द दिखता है लेकिन सत्ता पाते ही गंभीर नहीं दिखते,जिस मुद्दे पर सत्ता में आते हैं उस मुद्दे पर आंखे फेर लेने का रिवाज सा बन गया है।मोर्चा के संयोजक व संघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने सरकार से गुहार लगाई है कि बिना देर किए प्रदेश के फालेन आउट अतिथि विद्वानों को सेवा में ले सरकार क्योंकि इनकी लगातार हो रही आत्महत्या सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है।उन्होंने कहा कि प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी हैं तो तत्काल लिस्ट जारी करने में देरी क्यों?सरकार के मुखिया शिवराज सिंह से निवेदन है की तत्काल सभी फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लें।
उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करें सूबे के मुखिया
मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने बयान जारी करते हुए कहा कि सूबे के मुखिया शिवराज जी काफी संवेदनशील हैं उन्होंने हमारे 25 वर्षों के संघर्ष को नजदीकी से देखा है,जानते हैं,समझते हैं वो हमारे चर्चित आंदोलन,धरने के साक्षी भी रहें हैं।गौरतलब है कि अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के मुद्दे पर ही शिवराज सरकार बनी सत्ता भी मिली अब हमारी विनम्र प्रार्थना हैं की बिना देर किए फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों को तत्काल सेवा में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करें जिससे प्रदेश के उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों की लगातार हो रही आत्महत्या रुके और सरकार के प्रति जनता का व अतिथि विद्वानों का विश्वास और मजबूत हो सके।

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