शिवराज में जनता परेशान! सेवा में बहाली न होने से आर्थिक स्थिति से जूझते फालेनआउट अतिथि विद्वान ने किया सुसाइड,
द लोकनीति डेस्क : गरिमा श्रीवास्तव
मध्य प्रदेश सरकार की शोषण कारी नीतियों की वजह से आज एक और अतिथिविद्वान ने आत्महत्या कर ली. महाविद्यालयीन अतिथिविद्वान 1 साल से ऊपर समय से सेवा में बहाली की गुहार लगा रहे हैं पर सरकार भी एक नहीं सुन रही है . जिसके कारण परेशान होकर डॉ गोविंद प्रजापति ने आत्महत्या कर ली .
डॉक्टर गोविंद प्रजापति पिछले एक वर्ष से कोतमा महाविद्यालय अनूपपुर से फ़ालेंन आउट होकर बेरोज़गारी का दंश झेल रहे थे. आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी. आत्महत्या के अलावा अब कोई चारा नहीं बचा था क्योंकि सरकार इनकी सभी बातों को नजरअंदाज करती रही. शिवराज सरकार अभी भी गहरी नींद में सोई हुई है.
जब सत्ता में कमलनाथ की सरकार थी तो शिवराज सिंह चौहान अतिथि विद्वानों के धरना स्थल पर गए थे. वहां उन्होंने अतिथि विद्वानों से बड़े-बड़े वादे करते हुए कहा कि जब सत्ता में उनकी सरकार आएगी तो सबसे पहला काम होगा अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण लेकिन अभी तक अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण और सेवा में बहाली नहीं हो सकी.. करीब 600 से 700 अतिथि विद्वान अभी भी सेवा से बाहर है. सरकार के मंत्री बार बार यह बात कह कर टाल देते हैं कि आप सभी के बारे में विचार किया जा रहा है. पर अभी तक सेवा में वापस नहीं लिया गया. जिसके कारण आज एक और अतिथि विद्वान की जान चली गई इससे पूर्व में भी कई अतिथि विद्वानों ने जान दी है.