पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक घंटे तक चली सुनवाई, यथास्थिति को बरकरार रखने के दिए निर्देश।
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक घंटे तक चली सुनवाई, यथास्थिति को बरकरार रखने के दिए निर्देश।
भोपाल/शुभम शुक्ला:- पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। लगभग एक घंटा चली सुनवाई में मध्य प्रदेश की ओर से विशेष अधिवक्ता मनोज गोरकेला ने पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश देते हुए सभी पक्षों को दो सप्ताह के भीतर लिखित पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण के मामले की वजह से बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लिहाजा, अब इस मामले में आगे सुनवाई नहीं होगी। सभी राज्य अपना लिखित में पक्ष प्रस्तुत कर दें। पाँच अक्टूबर से कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट दस अक्टूबर को इस मामले में अंतिम निर्णय आ सकता है।
2016 से बंद नहीं हो रही पदोन्नति
मध्य प्रदेश में वर्ष 2016 से पदोन्नति बंद है हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को निरस्त किए जाने की वजह से पदोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं हाईकोर्ट के इस फैसले को मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हालांकि, कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए पदोन्नति के विकल्प के तौर पर उच्च पदों का प्रभार देने की शुरुआत गृह विभाग में की गई है।
नए नियम का प्रारूप तैयार कर चुकी है सरकार
उधर, प्रदेश सरकार ने पदोन्नति नियम का प्रारूप तैयार कर चुकी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि विभाग सहित वरिष्ठ अधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद नए नियमों का प्रारूप तैयार किया है जिसे कैबिनेट में जल्द प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार ने भविष्य में पदोन्नति को लेकर रणनीति बनाने के लिए मंत्री समूह का भी गठन किया है।