राजस्थान सरकार के फ़ैसले के बाद "MP" में गरमाई सियासत, BJP MLA नारायण त्रिपाठी ने CM को लिख डाला पत्र, की ये मांग 

भोपाल : हमेशा अपने बयानों से अपनी ही सरकार को मुसीबत में डालने और सुर्खियां बटोरने वाले सतना के मैहर विधानसभा से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, हालही में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार द्वारा एक जून 2005 के पहले की पेंशन व्यवस्था को लागू करने के फैसले के बाद अब मध्यप्रदेश में भी इसकी बहाली की मांग उठने लगी है, जिसको लेकर अब भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज को पत्र लिखकर इसे लागू करने की मांग की है। 

विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपने पत्र में लिखा की – माननीय, आप मध्यप्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं। आप सभी वर्गों के हित संरक्षण हेतु सतत् प्रयासरत भी रहते हैं। प्रदेश के लाखों शासकीय कर्मचारियों द्वारा लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की माँग की जा रही है। नई पेंशन योजना में इन कर्मचारियों के आर्थिक हितों की सुरक्षा नहीं है, पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू करने से जहाँ इनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी वहीं सेवानिवृत्ति के बाद बिना किसी आर्थिक संकट के जीवन निर्वाह हो सकेगा।

विधायक ने आगे लिखा की – हालही में राजस्थान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना की बहाली की घोषणा से प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा भी यह माँग जोर पकड़ रही है। हमारी सरकार को भी इन कर्मचारियों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिये पुरानी पेंशन बहाली हेतु सार्थक कदम उठाने की जरूरत है।

बता दें कि लंबे समय से मध्य प्रदेश में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर मांग उठाई जा रही है। 286000 शिक्षक, डेढ़ लाख संविदाकर्मी और 48000 स्थाईकर्मी कई बार अंशदायी पेंशन की जगह पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर चुके है। अंशदायी पेंशन में 10% कर्मचारियों की सैलरी से काटा जाता है और 14% सरकार मिलाती है और फिर कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर 50% का भुगतान एकमुश्त कर दिया जाता है और शेष राशि से 3-4 हजार पेंशन के रूप में दी जाती है। यही कारण है कि कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकी इस राशि में इजाफा हो सके।

बहरहाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पुरानी पेंशन बहाल किए जाने के बाद देशभर की सियासत गर्मा गई है। आगामी चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में भी इस मांग ने जोर पकड़ लिया है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा की शिवराज सरकार इसपर क्या फ़ैसला लेती है। 
 

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