वर्मा के केजरी के खांसने वाले बयान को लेकर आप को आया गुस्सा

हम आपको बता दें कि मंगलवार को संसद में हुई चर्चा के दौरान बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा ने प्रदुषण को लेकर आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि “पहले केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खांस रहे थे, लेकिन अब पूरा शहर और सदन के सदस्य खांस रहे हैं” | आम आदमी पार्टी को प्रवेश वर्मा की टिपण्णी बेहद खराब लगी |

हम आपको यह भी बता दें की वर्मा ने केजरीवाल पर यह  ही आरोप लगाया है की उनको प्रदुषण को ध्यान में रखते हुए कुछ न कुछ करना चाहिए और साथ ही प्रवेश का केजरीवाल से यह कहना भी था कि उन्हें पडोसी राज्य के किसानों को प्रदुषण के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए था | 

राघव चड्डा का भाजपा को जवाब :
आप के प्रवक्ता भाजपा पर बरसते हुए बोले कि प्रवेश वर्मा की ये टिप्पणियां बेहद  खराब हैं उन्होनें यह भी कहा कि भाजपा के बयान उनके बौद्धिक और सांस्कृतिक दिवालियएपन को दिखाती है कि वह इस स्तर तक गिर गए हैं जहां किसी की खुद की आपराधिक लापरवाही और वायु प्रदूषण के मुद्दे की ओर उदासीनता को न्यायसंगत ठहराने के लिए किसी के स्वास्थ्य और परिवार के सदस्यों पर इस हद तक निजी हमले किए जा रहे हैं | उनका गुस्सा सिर्फ यहीं शांत नहीं हुआ उन्होंने भाजपा को ताना देते हुए कहा कि वो जवाब देकर उनकी टिप्पणियों पर गौर भी नहीं देना चाहता | और उन्होंमें यह भी कहा की कि यदि  भाजपा के मुताबिक मुख्यमंत्री को बुरा बोलकर  और उनके परिवार के लिए बेआबरू  बयान देकर वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है तो आपका सुबह से लेकर शाम तक ऐसा करने के लिए स्वागत है.'

आप पार्टी ने भाजपा को लापरवाह बताते हुए कहा की प्रदुषण पर संसदीय चर्चा में दिल्ली भाजपा के केवल तीन सांसद मौजूद रहे और चार अनुपस्थित रहे, इससे यह  दिखाता है कि जब दिल्ली और उत्तर भारत के लोगों के प्रदुषण संबंधी स्वास्थ्य की बात आती है तो भाजपा आपराधिक लापरवाही और उदासीनता दिखाती है। और साथ ही इतने सांसदों की अनुपस्थिति को मुद्दा बना कर कहा कि हमारी पार्टी तो  हमेशा से कहती आई है  है कि भाजपा के नेता प्रदूषण के मुद्दे पर गंभीर नहीं हैं और इसका सबूत आज आप सबके सामने है ही। और साथ ही चड्डा ने यह भी कहा कि 'गौतम गंभीर इससे पहले भी  एक और महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

बहरहाल यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि आखिर कभी सच में दिल्ली में बढ़ता हुआ प्रदुषण कम हो पाएगा या हमें हमेशा यही तर्क सुनाई दिंगे।

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