MP विधानसभा चुनाव 2023 के रण में उतरे 46 नए राजनीतिक दल

इस विधानसभा चुनाव में अंचलवार मतदाताओं को लुभाने के लिए कई राजनीतिक दल बने और उन्होंने प्रत्याशी भी उतारे। विंध्य क्षेत्र की सीटों पर केंद्रित विंध्य जनता पार्टी का गठन विधायक नारायण त्रिपाठी ने किया। उन्होंने 20 प्रत्याशी मैदान में उतारे। नर्मदा क्षेत्र की विधानसभा सीटों में नर्मदाखंड नवनिर्माण सेना और मालवांचल की कुछ सीटों पर मालवा कांग्रेस ने उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया।

तीन दिसंबर को जब परिणाम आएंगे तब पता लगेगा कि जनता ने इन पर कितना भरोसा जताया। वर्ष 2018 के चुनाव परिणाम के आंकड़े देखें तो छोटे-छोटे दलों के प्रत्याशी भले ही न जीते हों पर सात हजार तक वोट लेकर परिणाम को अवश्य प्रभावित किया। इस चुनाव में भी ऐसे दल कहीं कांग्रेस तो कहीं भाजपा और बसपा को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नजर आ रहे हैं। इस बार 106 दल चुनाव लड़े, जिसमें 46 नए हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में निर्दलीयों के अलावा 119 राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे।

बुंदेलखंड की विधानसभा सीटों में पहली बार बुंदेलखंड क्रांति दल ने उम्मीदवार उतारे थे। पिछले चुनाव में इसी तरह से बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रत्याशी खड़े किए थे। हालांकि, इस बार यह दल बाहर है। दरअसल, मध्य प्रदेश में अलग-अलग अंचल हैं। इन अंचलों की सियासत राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय विषयों के अलावा स्थानीय मुद्दों से भी प्रभावित रहती है। कुछ समस्याएं भी अंचलवार अलग-अलग हैं। ऐसे में यहां के मतदाताओं को लुभाने के लिए अंचल विशेष के हितों वाले दल इस बार सामने आए।

लंबे समय से अलग विंध्य प्रदेश की मांग कर रहे विधायक नारायण त्रिपाठी ने चुनाव के कुछ माह पहले ही विंध्य जनता पार्टी का गठन किया। विंध्य की 30 सीटों में से उन्होंने 20 में प्रत्याशी उतारे। वह खुद मैहर से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़े देखें तो लगभग 10 उम्मीदवारों की हार-जीत एक एक हजार से भी कम मतों के अंतर से होती है। उधर, इन्हीं आंकड़ों में सामने आया है कि, कई विधानसभा सीटों में छोटे दलों को मिलने वाले मतों की संख्या एक हजार से ऊपर रही है।

वर्ष 2018 के चुनाव में बहुजन संघर्ष दल ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की सीटों पर सात हजार तक मत लेकर बसपा को नुकसान पहुंचाया था। इसी क्षेत्र में महान दल के प्रत्याशियों को भी 17 हजार तक मत मिले। भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के प्रत्याशियों को ग्वालियर-चंबल और विंध्य क्षेत्र में तीन हजार तक मत मिले थे। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा को 500 से 1000 तक मत मिले थे।

Exit mobile version