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जूनियर डॉक्टर पर प्रशासन सख्त, GMC ने कहा हॉस्टल खाली करो, मिला ये जवाब

जूनियर डॉक्टर पर प्रशासन सख्त, GMC ने कहा हॉस्टल खाली करो, मिला ये जवाब

 

 मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर हड़ताल करने के बाद इस्तीफा दे दिया. उनकी सरकार से छह सूत्रीय मांगे हैं पर सरकार ने उनकी मांगे पूरी नहीं की है. प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज और प्रशासन के बीच लगातार मामला बढ़ता जा रहा है.

 सरकार के निर्देश पर जीएमसी ने इस्तीफ़ा देने वाले डॉक्टरों को हॉस्टल खाली करने को कहा. उसके बाद डॉक्टरों की तरफ से जवाब आया कि कोरोना वॉरियर्स का सर्टिफिकेट भी ले लो.

 

जूनियर डॉक्टरों को कड़ी चेतावनी, अगर मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ी तो…………..

 

 मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर कई दिनों से हड़ताल पर थे जिसके बाद कल उन्होंने सामूहिक इस्तीफा दिया.

एक तरफ जहां हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर पीछे हटने के मूड में नहीं हैं, तो वहीं सरकार ने भी साफ कर दिया है कि कोरोना महामारी के वक्त में जूनियर डॉक्टर का इस तरह काम बंद करना उचित नहीं है.

 

 क्या है जूनियर डॉक्टरों की मांगे और उस पर क्या है सरकार का पक्ष :

 

1 मांग : स्टाइपेंड में 24% बढ़ोत्तरी की जाए. सरकार का तर्क : सरकार द्वारा अन्य विभागों की तरह सीपीआई के अनुसार जूनियर डॉक्टर्स के स्टाइपेंड में 17% की वृद्धि मान्य की गई है. जूनियर डॉक्टर्स की 24% की स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग अनुचित है. कोविड ड्यूटी करने के कारण अतिरिक्त पारितोषिक व वजीफे की मांग युद्ध के समय युद्धरत सैनिकों द्वारा वित्तीय मांग किया जाने जैसा है

 

2 मांग : हर साल वार्षिक 6% की बढ़ोत्तरी भी बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए. सरकार का तर्क : प्राइस इंडेक्स के तहत बढ़ोत्तरी दी जाएगी, जैसा शासन के अन्य विभाग के लिए होता है.

3 मांग : पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बॉन्ड को कोविड ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए, जो इस पर विचार करके अपना फैसला जल्द से जल्द सुनाए. सरकार का तर्क : इस मांग पर यदि शासन सहमत होता है तो ग्रामीण अंचल के गरीब व्यक्तियों को बेहतर चिकित्सीय सेवा से वंचित होना होगा.

4 मांग : कोविड ड्यूटी में काम कर रहे जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक गजटेड सर्टिफिकेट मिले जो आगे उनको सरकारी नौकरी में फायदा दे. सरकार का तर्क : भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार अल्पावधि के कोविड कार्य करने हेतु व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे. कोविड अथवा अन्य महामारी में सेवाएं दिया जाना किसी भी शासकीय चिकित्सक का मूल कर्त्तव्य है. जिसके लिए अतिरिक्त पारितोषिक और वजीफे की मांग किया जाना उचित नहीं होगा. अपने मूल कार्यों के एवज में यदि सभी विभाग अतिरिक्त सुविधा की मांग करें तो शासन कार्य कैसे कर पाएगा? अन्य विभाग जो कोविड में अतिआवश्यक सेवाओं में आते हैं, उनमें किसी भी कर्मचारी/अधिकारी को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया जा रहा है.

5वी मांग:कोविड में काम कर रहे सभी जूनियर डॉक्टर और उनके परिवार के लिए अस्पताल में अलग से एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए और उनके उपचार को प्राथमिकता दी जाए. उनका सारा इलाज फ्री ऑफ कॉस्ट कराया जाए. सरकार का तर्क : चिकित्सकों के लिए 10% कोविड बिस्तर आरक्षित किए जाने का पत्र जारी किया जा चुका है. लेकिम उनके परिजनों को आम नागरिकों की तरह सुविधा उपलब्ध है.

6: जितने जूनियर डॉक्टर कोविड ड्यूटी में कार्यरत हैं, उनका अधिक कार्यभार देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए. सरकार का तर्क : सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के स्वशासी समिति के अध्यक्ष, संभागायुक्त होते हैं. जिनके तहत संभाग में सुरक्षा एवं कानून व्यवस्थाएं संचालित होती हैं. समस्त चिकित्सा महाविद्यालयों में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस चौकी स्थापित करने का निर्देश जारी किया जा चुका है.

 कोर्ट के निर्देश के बाद भी जूनियर डॉक्टर वापस काम पर नहीं आया जिसके बाद अब सरकार सख्त हो गई है. चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने बताया कि मेडिकल कॉलेज की सीट छोड़ने वाले जूनियर डॉक्टर को बांड के अनुसार 10 से ₹300000 भरने होंगे. इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के दिन को आदेश जारी कर दिए गए इससे अब जूनियर डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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