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देखें video सिहोरा की किसान महापंचायत में गरजे राकेश टिकैत बोले कान खोल कर सुन लो किसान भाइयों जो सरकार हमने चुनी थी वह अब व्यापारी चला रहे हैं जो भूख का सौदा करेंगे

देखें video सिहोरा की किसान महापंचायत में गरजे राकेश टिकैत बोले कान खोल कर सुन लो किसान भाइयों जो सरकार हमने चुनी थी वह अब वह अब व्यापारी चला रहे हैं जो भूख का सौदा करेंगे
बीजेपी तो आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी आजाद नहीं कर रही है उन्हें बंधक बना कर रखा है
किसानों के पोस्टर बैनर फाड़ ने से क्या होगा व्यापारियों के गोदाम तोड़ो तो जाने

देखें video –https://youtu.be/ermKCS6sv8o
द लोकनीति डेस्क सिहोरा
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में सिहोरा कृषि मंडी में सोमवार को किसान महापंचायत हुई। दो घंटे देरी से पहुंचे भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि ये क्षेत्र नर्मदा मइया का उद्गम स्थल है। युवाओं से ही आंदोलन की शुरुआत होती है। सुभाष चंद्र बोस ने क्रांति की शुरुआत इसी धरती से की।

यहां क्रांति की मशाल अब जलानी पड़ेगी। देश का ये भौगोलिक रूप से भी केंद्र बिंदु है। सरकार आंदोलन को मान नहीं रही है। उन्होंने आह्वान किया कि 26 मार्च को पूरा देश बंद रखने में साथ दें।

उन्होंने कहा कि यह सरकार किसी पार्टी की तो है नहीं। बीजेपी के जो लोग पोस्टर फाड़े हैं, उन्हें तो साथ देना चाहिए। उनके बड़े नेता कैद में हैं, उनको मुक्ति दिलाने का आंदोलन है। मुरली मनोहर जोशी जैसे व्यक्ति की अभिव्यक्ति पर ताला लगा दिया गया। यह किसानों की विचारधारा है, जो बंद नहीं होगी। बंदूक के जोर से आंदोलन बंद नहीं होने वाला। किसान तय कर लें, वह अपनी फसल एमएसपी से कम पर नहीं बेचेगा। हम दिल्ली में संसद भवन में फसल बेचेंगे। आप अपने तहसील और जिला मुख्यालय में फसल बेचने ले जाएं।
देश का नौजवान सो गया, तो देश बिक जाएगा
देश का नौजवान सो गया तो देश बिक जाएगा। किसानों को एकजुट होकर आंदोलन चलाना होगा। पांच लाख किसान और 25 हजार ट्रैक्टर लेकर हम दिल्ली के बाॅर्डर पर जमे हैं। दिल्ली छोड़कर सरकार कोलकाता भाग गई। हम वहां भी गए, लेकिन सरकार वहां भी नहीं थी। दिसंबर तक आंदोलन चलाने का निर्णय ले चुके हैं। हर किसान को आंदोलन से जोड़ना होगा। बीजेपी के जो लोग किसान का समर्थन करें, उनका स्वागत है। जो विरोध करें, उनसे सवाल करो कि एमएसपी पर उनकी फसल खरीद लो।


कृषि कानून में आपकी जमीन कंपनियां ठेके पर लेगी। 25 से 30 साल बाद आपकी जमीन नहीं बचेगी। किसान आंदोलन नहीं होता तो केंद्र सरकार कई और किसान विरोधी बिल पास करने वाली थी, जो अभी पाइपलाइन में हैं। शहरीकरण बिल लागू होगा तो आसपास के गांव में भी 10 साल पुराने ट्रैक्टर, डीजल इंजन नहीं चलेंगे।
कंपनी का बीज नहीं खरीदा और बोया तो किसानों पर होगी कार्रवाई
बिजली बिल सुधार लागू करने वाले हैं। दो पशु भी होंगे, तो किसानों को व्यावसायिक कनेक्शन लेना होगा। पशुधन समाप्त करने की ये चाल है। बिजली के थाने खुलेंगे। सीड बिल भी पाइपलाइन में है। मतलब कि कंपनी का बीज नहीं खरीदा और बोया तो किसानों पर कार्रवाई होगी। इसके लिए सीड थाने खोलने का प्रावधान है।

हाट और साप्ताहिक बाजारों को बंद करने की साजिश
जमीन बचानी है। आगे और आंदोलनों से बचना है, तो कृषि कानून को वापस कराने के लिए इस आंदोलन में शामिल होना होगा। केंद्रीय मंत्रियों की संसद में हैसियत झोला छाप से अधिक नहीं। देश को कंपनी चला रही है, जो वे चाहते हैं, वही कानून बन जाता है। अब देश में साप्ताहिक और हाट बाजारों को समाप्त करने साजिश है। वाॅलमार्ट जैसी विदेशी कंपनियां दो रुपए की सिंदूर 120 रुपए में बेचेंगे और मजबूरी में आपको लेना होगा।

जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं
हमने तय किया है, जब तक बिल वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। दिल्ली बाॅर्डर पर अब तो पक्के मकान भी बनाना शुरू कर दिया है। पुलिस वालों को शिक्षक के बराबर वेतन क्यों नहीं। एमपी-एमएलए को पेंशन मिलेगा, तो इस देश के सरकारी कर्मियों को भी मिलना चाहिए। ये दोहरा चरित्र में अब नहीं चलेगा। देश को आजादी दिलाने 90 साल आंदोलन करना पड़ा था।
कमर कस लो हो सकता है कि आंदोलन के लिए जमीन और जायदाद बेचनी पड़े
अब देखते हैं कि इस कानून को वापस कराने कब तक आंदोलन चलेगा। आप कमर कस लो, हो सकता है कि जमीन जायदाद भी बेचनी पड़े। ये आंदोलन बंधनों को तोड़ने का प्रतीक है। किसान महापंचायत को भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव राजपाल शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह ने भी संबोधित किया। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रमेश पटेल और संभागीय अध्यक्ष संतोष राय मौजूद थे।

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