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जानिए क्यों ?? खिल उठे किसानों के चेहरे ……

14 ग्राम की सैकड़ो एकड़ में पलोनी,मचौआ,धान रोपा लगाने पहुंचा पानी।

सिहोरा। 
 नहर से कुंड वितरिका में छोड़ा गया पानी- खेत में धान का रोपा लगाने पानी पहुंचा।

 गांधीग्राम- वर्तमान समय मे आसमान में मानसूनी बादल छाए जरूर रहते हैं परंतु बरसात नहीं होने से किसान परेशान हैं।खेतों में में पानी की  आपूर्ति के लिए नर्मदा घाटी बरगी नहर व्यापवर्तन परियोजना के जल उपभोक्ता संस्था गांधीग्राम की कुंड वितरिका पिपरिया नहर में हाल ही में पानी छोड़ा गया है।जिससे वर्तमान में धान की फसल को जरूरी पानी खेतो तक पहुँच रहा है, जिससे क्षेत्रीय किसानों ने राहत की सांस ली है।अपेक्षाकृत कम बरसात  होने से धान की फसल के खेत जलविहीन हैं,तथा कई ग्रामों में खेतों में पानी की कमी के चलते खेतों की ऊपरी परत की मिट्टी में दरारें आने लगी हैं।
       उपरोक्त विषय में जल उपभोक्ता संस्था गाँधीग्राम के अंतर्गत आनेवाले कृषकों से प्राप्त जानकारी अनुसार जल उपभोक्ता  गांधीग्राम संस्था के अंतर्गत लगभग 14 ग्रामों  के किसानों को पलोनी कर धान  हेतु पानी की महती आवश्यकता थी।कुण्ड वितरिका पिपरिया में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। कुंड वितरिका से माइनर व सब माइनर में जरूरत अनुसार पानी पहुंच गया।
इन ग्रामों में खेतो को मिला पानी- जल उपभोक्ता संस्था गांधीग्राम की ग्राम बम्होरी,पिपरिया, देवनगर,मिढ़ासन, कैलवास, उमरिया,कैलवास,पथरई,शहजपुरा, तपा, ख़ुड़ावल, धनगवां,कुकरई,चन्नौटा के खेतों में धान के रोपा लगाने जरूरी पानी समय पर पहुंच जाने से किसानों ने राहत महसूस की है।
किसानो ने ली राहत की सांस-धान की फसल हेतु वर्तमान में पानी की आवश्यकता थी। गांधीग्राम के किसान प्रकाश मिश्रा, लखन पटेल, धमकी के राम कुमार पांडे, दिनेश पांडे, बम्होरी के मथुरा तिवारी,महेंद्र पटेल, पिपरिया के राजकुमार विश्वकर्मा, बिरजू केवट,मिढ़ासन के  नरेश पटेल,पूरन कोल,पूरन असाटी,पथरई के सुरेश पांडेय, शहजपुरा के वीरेन्द्र पटेल, सुदामा पटेल, ताला के लक्ष्मी पटेल,कैलवास के ब्रह्मानंद पटेल, बृज बिहारी पटेल आदि ने  खेतों को समय पर पानी मिल जाने से खुशी व्यक्त की है।किसानो का कहना है की खेतो में पानी आ जाने से वे पलोनी,मचौआ कर रोपा लगा सकेंगे।
पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष क्रांति धान का रकबा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन अभी तक अच्छी बारिश नहीं होने के कारण किसानों में मायूसी छाई हुई है, क्योंकि बारिश अच्छी नहीं होने की स्थिति में किसान खेत को बखरने लगे हैं, जिससे कि वह अन्य फसल की बोवनी समय पर कर सकें
अच्छी बारिश का इंतजार/कम बारिश से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका–क्षेत्र में धान की रोपाई करने वाले किसानों को अभी भी अच्छी बारिश का इंतजार है। कृषि के जानकारों की माने तो पिछले साल की अपेक्षा लगभग 70 फीसदी धान की रोपाई होना शेष है।जिन किसानों ने धान की फसल लगाई है उन्हें भी सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर निर्भर रहना पड़ रहा है। ट्यूबवेल और इंजन से पानी की सप्लाई की जा रही है। इस लिहाज से मात्र 25 से 30 प्रतिशत धान ही रोपी जा सकी है। कम बारिश की वजह से किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। क्योंकि यदि समय पर धान की रोपाई नहीं होती है तो उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत की कमी आने की संभावना जताई जा रही है। कृषि के जानकारों ने बताया कि यदि यह फसल देर से कटती है तो इसके बाद लगाई जा रही फसल की बोवनी भी प्रभावित होगी। जिससे उसका उत्पादन भी प्रभावित होगा।लेकिन 70 फीसदी कृषि क्षेत्र में अभी धान की क्यारियां बनकर तैयार होने के बावजूद भी धान का रोपा नहीं लगाया जा सका है।

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