भोपाल : बीते 2 दिनों में हुई बारिश ने राजधानी भोपाल को हिला कर रख दिया। जहां एक तरफ भारी बारिश के कारण सड़कों, बस्तियों में पानी पानी नज़र आया तो वहीं दूसरी तरफ चली तेज़ हवाओं से शहर में 1 हज़ार से ज़्यादा पेड़ बिजली के तारों पर गिर, जिसके कारण पूरा शहर अंधेरे में समा गया। तेज़ हवा के साथ हुई बारिश से जगह-जगह 33 और 11 केवी की लाइनें गिर जाने से हालात बिगडे थे।
वहीं, तेज बारिश का सबसे बड़ा असर शहर की स्ट्रीट लाइट पर हुआ है। रविवार की रात में जब बारिश के बीच फॉल्ट हुए उस समय चालू स्ट्रीट लाइट शॉर्ट सर्किट के कारण बंद हो गईं। नगर निगम, स्मार्ट सिटी और अन्य एजेंसियों की मिलाकर शहर में 60 हजार स्ट्रीट लाइट में से 90 फीसदी सोमवार को बंद हो गई थीं। मंगलवार शाम तक भी 30 हजार स्ट्रीट लाइट बंद थीं। कम से कम 12 हजार लैंप खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है। निगम के अफसरों के अनुसार लैंप बदलने का यह काम बिजली कंपनी द्वारा पूरे शहर में बिजली व्यवस्था बहाल करने के बाद ही शुरू हो पाएगा। लैंप बदलने में कम से कम दो हफ्ते लगेंगे।
इधर, 42 घंटे बाद भोपाल में बिजली सप्लाई पूरी तरह से शुरू हो पाई। रविवार रात 2 बजे तेज आंधी और बारिश के कारण पूरा शहर घुप्प अंधेरे में डूब गया था। बिजली सप्लाई पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी, जिसे मंगलवार शाम 7:30 बजे तक सुधारा जा सका। हैरान करने वाली बात ये भी रहीं की इस बार आंधी-बारिश के कारण मंत्री-अफसर भी अंधेरे में रहे। इनकी बस्ती 74 बंगला क्षेत्र में 21 घंटे बाद मंगलवार सुबह 7:30 बजे लाइट आई। ऐसा पहली बार हुआ है जब इस इलाके में इतनी देर बिजली बंद रही हो। खुद सीएम हाउस में सोमवार रात करीब 20 मिनट सप्लाई रुकी रही।
इससे पहले राजधानी भोपाल में ऐसे हालात जुलाई 2002 में बने थे तब ग्रिड फेल होने से पूरा शहर अंधेरे में समा गया था, फिर भी 6 घंटे में हालात सुधार कर बिजली सप्लाई बहाल हो गई थी। लेकिन इस बार 42 घंटे लग गए। बता दे कि शहर में बीते 15 साल में बिजली व्यवस्था में सुधार के नाम पर एक हजार करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं, लेकिन जरा सी बारिश में सप्लाई बंद होना आज भी आम बात है।